Monday, April 2, 2018

पंख फैलाओ

हैं इक्षाएँ जीवित,
है मन समर्पित,
कर्म का आधार है निहित,
तो संभावनाओं की बाट न जोहो,
संग हवा के संग पक्षियों के बहो,
अपनी कर्मठता को आधार बनाओ,
आसमान खुला है,
बस अपने पंख फैलाओ...

वक़्त सीमित है यहां ,
क्षण क्षण समर्पित करना होगा,
स्वार्थ की इस दुनिया मे ,
स्वार्थ अर्पित करना होगा,
मन की चंचलता को स्थिर करना होगा,
चित को निश्छल बनाओ,
आसमान खुला है,
बस अपने पंख फैलाओ...
     
                               सुप्रिया '"रानू"

13 comments:

Shakuntla said...

अतिसुन्दर सुप्रिया

Supriya pathak " ranu" said...

सहृदय धन्यवाद दीदी

Sujit pandey said...

सराहनीय व प्रेरक ।

Unknown said...

Very beautiful lines
Inspirared me a lot

Thoughtful Girl said...

Your thoughts are so beautiful and deep just like you :-)

Supriya pathak " ranu" said...

सहृदय धन्यवाद

Supriya pathak " ranu" said...

Thanks a lot dear

Supriya pathak " ranu" said...

Thanks a lot

Unknown said...

Nice

Nimisha said...

Very inspiring. Waiting for a lot more.

Unknown said...

Awesome👌👏

yashoda Agrawal said...

मन की चंचलता को स्थिर करना होगा,
चित को निश्छल बनाओ,
आसमान खुला है,
बस अपने पंख फैलाओ...
बेहतरीन पंक्तियाँ
सादर

yashoda Agrawal said...

गूगल फॉलोव्हर का गैजेट लगाइए
सादर

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