अपने जीवन मे अनुभूत सभी कड़वे स्वादों को
जो किसी न किसी रिश्ते से मिले,
इसलिए नही की उन्हें माफ कर दिया,
अपितु इसलिए कि
जीवन में जब भी उस तरह के रिश्ते में बंधी,
तो घोल न पाउँ अपने अंतर्मन में बैठे इस कड़वाहट को,
जो ताने मैं बहु बनकर सुनी वो अपनी बहू
को न सुनाऊँ,
जिस प्रेम से वंचित मैं ननद बन कर रही ,
उससे अधिक प्रेम अपनी ननद को दे पाऊं,
बिटिया के होने पर सबके उतरे चेहरे जो देखें,
वो अपने नतिनी और पोती के लिए अनन्त प्रेम बरसाऊँ
मैं विस्मृत कर देना चाहती हूँ
अपने जीवन की हर कड़वाहट
ताकि प्रकृति को भविष्य में
सिर्फ प्रेम दे पाउँ
प्रेम के बीज बोउँ
और प्रेम के ही वट वृक्ष उगाउँ।
8 comments:
लंबे समय के बाद | सुन्दर रचना |
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 12 जुलाई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
बहुत सुंदर रचना
सुन्दर रचना
अनन्त आभार
अनन्त आभार स्थान देने को पटल पर
अनन्त आभार
अनन्त आभार
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