मन जब उड़ना चाहता है,
उस असीमित आसमान में,
और पैर बन्ध जाते हैं,
कुछ विचारों के जहां में,
अपने हर सवाल का खुद ही जवाब लिखते हैं,
दिल भर आता है भावों से तो ...,
एक नई किताब लिखतें हैं..
आवाज़ रुक सी जाती है जब
चीख सकने के हालात में,
मन हारता है,जब
पाबंदियों को खोलने के खयालात में,
अपने हर सवाल का खुद ही जवाब लिखते हैं,
दिल भर आता है भावों से तो,
एक नई किताब लिखते हैं..
अंतर्मन में जब नई कोंपलें
आती हैं सपनो की ,
भेद दूर हो जाते हैं जब
गैर और अपनों की..
अपने हर सवाल का खुद ही जवाब लिखते हैं,
दिल भर आता है भावों से तो ,
एक नई किताब लिखते हैं...,
सुप्रिया "रानू"
3 comments:
दिल भर आता हैं भावों
तो एक नई किताब लिखते हैं..... उम्दा
सहृदय धन्यवाद दी
वाह...
उम्दा लेखन
सादर
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