एक मैं में छुपा पूरा परिवार है,
मैं को हम बना देने वाले हम बिहार हैं ।
आत्मविश्वास अपरम्पार है,
मेहनत ही हमारे उपलब्धि का आधार है,
कहीं मीठा तो कहीं थोड़ा कड़वा हमारा व्यवहार है,
भोजपुरी,मैथिली,मगही,तिरहुत,अंग,संस्कृतियों से सरोकार है,
पारस्परिक प्रेम में त्याग करना ही हमारा कारोबार है,
एक अकेला इंसान भाई बहन के परिवार को भी ढो लेता है
किसी अनजान की मंजिल ( शवयात्रा) में भी रो लेता है,
दिखने में भले हम बेबस और लाचार हैं,
कर्मठता कूट के भरा है, हम में
एक हम में छुपने वाला पूरा परिवार है,
हम ठेठ,गवार बिहार हैं ।।
देश विदेश में प्रवासियों की संख्या का मूलतः आधार हैं,
लिट्टी चोखा और दही चूड़ा पर चलता हमारा आहार है,
पढ़ाई, कॉम्पिटिशन,एग्जाम निकालते बेशुमार हैं,
तेज़,और काबिल लोग का भंडार हैं,
अस्ताचल सूर्य को भी हमारा नमस्कार है,
हम बिहारी छठ का त्योहार हैं,
मैं को हम बना देने वाले हम बिहार हैं ।।
दिल मे आत्मविश्वास ,प्रेम ,सौहाद्र , अपनेपन का भंडार है,
किसी भी क्षेत्र में हों हम एक - एक
बुद्ध, महावीर,गुरुगोविंद,के अवतार हैं
मैं को हम बना देने वाले हम बिहार हैं
हार नही मानते कभी भी,
साहस से हर जंग जीतने को तैयार हैं,
हम स्वाभिमानी,कलाप्रेमी,आज्ञाकारी,संस्कारी,पढ़ाकू
जम कर खाने वाले
भारत का एक अद्भुत हिस्सा गौरवमयी बिहार हैं ।।।
सुप्रिया"रानू"
3 comments:
सरल,सहज अभिव्यक्ति है किन्तु हृदय से लिखी हुई हृदय को छूती हुई पर वो हृदय जिसने इसी प्रदेश में धड़कना शुरू किया हो ।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
Ranu hamari bihar ki saan hai....
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