Wednesday, June 23, 2021

कैसे करे सफलता आलिंगन

कैसे करे सफलता आलिंगन
जब तक मन न बने स्व अवगुण का दर्पण।

बंदिश मुक्त रखा बच्चों का बचपन,
आस संजोए मात-पिता मन ही मन।
उभरे बच्चों में हर तरह के  सद्गुण,
पाबंदियों के बिन आये कहाँ से गुण।

उड़ता मन चाहे सदा उन्मुक्त गगन,
मुक्त मन को बांध न पाए बंधन।
चित ठहरे तो संजोए सब सद्गुण,
और त्यागे अन्तस् के सारे अवगुण।

बिना तपस्या कहाँ से पाएं ज्ञान गहन,
तज के सारे मोह करने होंगे बड़े जतन।
खुद की कमियों का कर स्वयं मनन,
प्रगक्ति पथ पर निरंतर रहे मन।

न रोक न टोका न बाँधा कभी मन।
कैसे करें भला सफलता आलिंगन ।।

विवाह के लिए लड़की

विवाह के लिए लड़की चाहिए 
कैसी 
सुंदर हो दिखने में 
रंग भी गोरा नाक खड़ी हो,
उम्र न ज्यादा बस अभी 
यौवन की सीढी चढ़ी हो।
दुबली पतली सौम्य,सुशील
पढ़ा न हो बेटा तो क्या
लड़की खूब पढ़ी हो ।
अन्नपूर्णा हो 
हाथ लगते ही खाना हो जाये 
स्वाद से भरा
न बने कभी कम, कभी ज्यादा
बातों के लहज़े हो,
संस्करों की धनी हो
सह जाए सारे आधात
दिल से पत्थर की बनी हो ।
जो भी नियमें हो 
चाहे कोई बंधन 
मान ले आंख मूंद कर 
न लगाएं कोई अटकन
घर के अंदर ही रहे 
और निपुणता बाहर की भी हो,
जब जरूरत पड़े ,जहां जरूरत पड़े
रहे वो अडिग रहे खड़े,
दोष कोई भी हो 
किसी मे मुँह पर ताला लगाए
सबकी वाह - वाही करे
सबको सम्मान का माला पहनाए ।
घर के काम पति का ध्यान
बच्चों का ख्याल और बड़ो की सेवा करे
स्वयं की इक्षाओं और 
सपनो को दरकिनार करती जाए 
है हर किसी की आकांक्षा 
बहु के रूप में 
इंसानी जिस्म में बस रोबोट मिल जाए।।


Tuesday, June 1, 2021

आत्मबोध

खुद ही लिखनी, खुद की कहानी है,
भूत,वर्तमान, भविष्य सब 
अपनी ही जुबानी ।।
गुत्थियां सुलझानी है,जीवन के रहस्य से,
मोह में डूबा यह जग सारा,
व्यर्थ का छिछला किनारा,
पार रक भवसागर को है,
स्व के ही सामर्थ्य पर,
खुद ही उठाना है बोझ अपना
खुद ही खुद की नाव चलानी है,
खुद ही लिखनी ,खुद की कहानी है।।
हर कदम पर ज़िन्दगी ,
यह मंत्र बता गयी ,
अपने मेहनत के बल पर 
बनानी है अपनी दुनिया नई,
हर आँधी यह सिखलाती है,
बनाओ नित नीड़ नए
न जाने जीवन की आँधी में टूटने हैं कई ,
जिम्मेवारियां कंधे की सारी खुद ही निभानी है
की खुद ही लिखनी खुद की कहानी है ।।
हर रिश्ते में छुपा है छल,
आज जो तेरे अपने हैं होंगे पराये वो कल,
रोशनी में साथ तेरे है जहां सदा,
छोड़ देगी साथ परछाई भी,
आ जाये सम्मुख जब अंधेरों की आपदा,
की खुद ही गहरे काले रातों में 
उठ के दीप जलानी है ,
की खुद ही लिखनी खुद की कहानी है ।।

ये कैसा वक़्त आया है


वक़्त का कहर है,या
हम सब का ही बोया ज़हर है
है जहां में हर कोई परेशां
ये काली भयावह लम्बी 
महामारी वाली रात का,
क्या कोई सहर है ।।
एक छींक आने पर भी 
पूरा परिवार सिहर उठता था जहां,
अपनो के मौत पर भी खड़ा है कोई कहाँ,
विडंबना यह प्रकृति का दिया है,
या सब हमारे व्यवहारों का किया है,
हक़ मुखाग्नि का भी बेटों से वक़्त ने छीन लिया है ।
सियासत को दोष दें,लापरवाही कहें,
इंसान का रचा ही जैविक युद्ध कहें,
या फिर प्रकृति की तबाही कहें,
ऑक्सीजन से भरे वातावरण में भी 
लोग ऑक्सीजन के बिना मर रहे हैं,
कितना लाचार बना दिया है इस महामारी ने ईसाँ को,
अपनो की ही देख रेख न अपने कर रहे हैं,
न जाने कितनों को निगल जाएगी ये ,
पसरा है ये सन्नाटा और दुख का आलम 
न जाने कितने जीवन को बदल जाएगी ये ,
ईश्वर से यही है नित आराधन,
दूर करे यह चिंतन 
और दूर करे यह क्षण
हो विनाश इस महामारी का 
दूर हो ये लम्हा लोगो की लाचारी का,
सब फिर से हंसते खेलते
एक दूसरे के गले लग पाएं,
हमारी वो खिलखिलाती धरती 
फिर से प्रेम में हरी भरी हो जाये ।

Saturday, May 22, 2021

माँ के बिना एक लड़की का जीवन

हल्दी लगी तबसे नही देखा 
किसी की आंखें लगातार नम हो रही हैं,
न ही देखा किसी को जतन से 
एक एक समान जोगते, सरियाते
नही कोई हर कमी पूरी कर देने वाला था,
दामाद को देने वाला समान भी 
अपने हाथों ही खरीदा, 
क्योंकि दामाद कहने वाली दामाद को सबसे ज्यादा लाड़ 
करने वाली सास के बगैर था वो घर,
बिन माँ की बेटी ,
बिन मन बिन श्रद्धा भी बियाह दी गयी,
सामाजिक परम्परों के निर्वाहन वाले लोग 
सब विध पूरा कर दिए,
और विदा हो गयी इस घर से 
हमेशा के लिए सँजो कर अपनी माँ की यादें,
ससुराल नाम ही है बहु के दुख 
को दुख न समझना,
दुनिया में किसी की माँ के मरने का मातम और 
दुख मन जाता 
पर बहु की माँ नही है यह खयाल भी न आता ,
सारे नियम पूरा किये 
सब व्यवस्थाएं की,और हर कुछ सीखा दिया था माँ की कमी ने
पर ससुराल में काम न करने वाली का ही नाम पाया,
क्योंकि उसके पीठ पर बोलनेवाली माँ न थी,
उसके गुणों अवगुणों को सहेजने वाली माँ न थी,
मायके से कोई कहने वाला न था मेरी बेटी है 
उसके कान तरस गए सुनने को की 
मेरी बेटी बहुत काम करती है,रूपवान है गुणवान है,
क्योंकि माँ तो अंधी होती है प्रेम में बच्चों के ।
माँ बिन मायके 
न मिलता ससुराल ही 
यही दुनिया की रीत है यही है यहां हाल ही
बिना माँ की बेटियां न ब्याही जाएं ,
क्योंकि समाज का हाल है बेहाल ही ...

Sunday, March 28, 2021

होली के रंग

पुआ दही बड़ा,गुझिया,गुलाब जामुन,
मटन,कटहल,न जाने कितने तरह के नमकीन
और न जाने कितने तरह की मिठाईयों से
जरा निकल जाना,
इस बार जरा होली रंगों से मनाना...
रसोई तो है तुम्हारे जिम्मे और आजीवन रहेगी
न खाने वालों की न बनानेवालों की इक्षाएँ मिटेंगी,
बस मिटेगा तो ये समय जो तुम्हारे हाथ कल नही लगने वाला,
पूरे साल रहेगी रसोई
बस पूरे साल तुम्हारे चेहरे पर नही ये रंग लगने वाला,
बच्चों की पिचकारी से भीगा लेना अपनी साड़ी,
गालों पे थोड़ा गुलाबी हाथों में पीला
माथे पर तेज लाल लगा लेना,
बस मन को मैला होने से बचा लेना,
परिंदो को कोई कहता नही उड़ जाने को,
तुम स्वयं ही स्वयं को मुक्त कर लेना,
इस बार होली रंगों में लिप्त कर लेना ।।

Monday, March 22, 2021

हम बिहार हैं

एक मैं में छुपा पूरा परिवार है,
मैं को हम बना देने वाले हम बिहार हैं ।

आत्मविश्वास अपरम्पार है,
मेहनत ही हमारे उपलब्धि का आधार है,
कहीं मीठा तो कहीं थोड़ा कड़वा हमारा व्यवहार है,

भोजपुरी,मैथिली,मगही,तिरहुत,अंग,संस्कृतियों से सरोकार है,
पारस्परिक प्रेम में त्याग करना ही हमारा कारोबार है,
एक अकेला इंसान भाई बहन के परिवार को भी ढो लेता है
किसी अनजान की मंजिल ( शवयात्रा) में भी रो लेता है,

दिखने में भले हम बेबस और लाचार हैं,
कर्मठता कूट के भरा है, हम में
एक हम में छुपने वाला पूरा परिवार है,
हम ठेठ,गवार बिहार हैं ।।

देश विदेश में प्रवासियों की संख्या का मूलतः आधार हैं,
लिट्टी चोखा और दही चूड़ा पर चलता हमारा आहार है,
पढ़ाई, कॉम्पिटिशन,एग्जाम निकालते बेशुमार हैं,
तेज़,और काबिल लोग का भंडार हैं,
अस्ताचल सूर्य को भी हमारा नमस्कार है,
हम बिहारी छठ का त्योहार हैं,
मैं को हम बना देने वाले हम बिहार हैं ।।

दिल मे आत्मविश्वास ,प्रेम ,सौहाद्र , अपनेपन का भंडार है,
किसी भी क्षेत्र में हों हम एक - एक 
बुद्ध, महावीर,गुरुगोविंद,के अवतार हैं 
मैं को हम बना देने वाले हम बिहार हैं
हार नही मानते कभी भी,
साहस से हर जंग जीतने को तैयार हैं,
हम स्वाभिमानी,कलाप्रेमी,आज्ञाकारी,संस्कारी,पढ़ाकू
जम कर खाने वाले 
भारत का एक अद्भुत हिस्सा गौरवमयी बिहार हैं ।।।
सुप्रिया"रानू"

कैसे करे सफलता आलिंगन

कैसे करे सफलता आलिंगन जब तक मन न बने स्व अवगुण का दर्पण। बंदिश मुक्त रखा बच्चों का बचपन, आस संजोए मात-पिता मन ही मन। उभरे बच्चों में हर तरह ...