छुवन तुम्हारी
और गरमाती शॉलों
की तरह आलिंगन
साथ तुम्हारा मिला क्या,
सब साथ बेमानी हो गया,
तुम्हारी आहटों से ही देखो
कैसे मंज़र रूमानी हो गया..
हरी पतियों के बूटों पर,सरसो के,
मूंगफलियों के दानों
की मिठास अब भी वही है
जैसे रस घुला हो बरसो के,
कोहरो ने जबसे घर बना डाला
है जमीन के आंगन में
तुम्हारी आहटों से ही देखो
कैसे मंजर रूमानी हो गया...
सारे विचार आपस मे
ज्यों मक्खन घुल हो सरसो के साग में,
और पक गए हमारे रिश्ते
वक़्त की आंच पे
सोंधी मक्के की रोटी की तरह
मैं और तुम और हमारा साथ
मानो एक रंगीन कहानी हो गया,
तुम्हारी आहटों से ही देखो
कैसे मंजर रूमानी हो गया...
गुड़ की डली बने रहना
मध्यम मध्यम से
एक दूसरे के घुले रहना
तप के मेरे जीवन का हर हिस्सा
जैसे सिहरते ठंड में गरम पानी हो गया
तुम्हारी आहटों से ही देखो
कैसे मंज़र रूमानी हो गया...