Friday, March 29, 2019

अश्क़ों की ज़ुबानी

कैसे कहें अपनी आपबीती
कोई कहानी, इन अश्कों की जुबानी,

बेवक़्त आते ज़रूर है,
पर कोई एहसास ही
झिड़क जाता है इन्हें,
आंखों की गहराई में डूबे
मोतियों सरीखे अश्क़
पलको से छिड़क जाता है इन्हें,

कहूँ जो रोकर कोई लफ्ज़
तो कमजोर समझ लेती है दुनिया,
अक्सर किसी की मार्मिकता पर
निकल जाने वाले अश्क़ों को देख
बेवकूफ समझ लेती है दुनिया,
पर ये कहाँ समझ पाते है कुछ भी
भावनाओं के गुबार में डूब कर
आंखों से सरक आते हैं कभी भी।

अब अश्क़ों का मोल भी कहाँ रह गया है,
कितनो के झूठ ने इनकी सत्यता छल गया है,
कोई रो भी ले तो अब झूठ मान लेते हैं लोग,
क्योंकि अब झूठ में भी अश्क़ों को दान देते हैं लोग,

इसलिए अब तन्हाई में ही
अश्क़ बहा लेती हूं,
सर रख दूँ कहीं
ऐसे कोई कंधे का
आसरा कहाँ लेती हूँ,
इन नादान मासूम अश्क़ों की लाज
बचा लेती हूँ,
झूठे लोगों से अपने आंसू छुपा लेती हूँ,
बचा लेती हूँ,इनकी मासूमियत सी हस्ती,
ताकि न बने झूठे आंसुओं की कहानी
ऐसे हालात में बताओ कैसे कह दूँ
अपनी आपबीती कोई कहानी
इन अश्क़ों की ज़ुबानी

सुप्रिया "रानू"

Friday, March 1, 2019

लिखूँ अगर समझ पाओ तो

मैं लिख दूँ अपने दिल की तमाम बातें
अगर तुम समझ पाओ तो,
डूब सको मेरी भावनाओं में,
शब्दों में छुपे भाव पढ़ पाओ तो,
मैं लिख दूँ अपने दिल की तमाम बातें,

कह दूँ सारे दर्द,
अगर मेरे शब्दों में छुपे
आँसू छलक जाएं तुम्हारे आंखों में,
भर दूँ अपनी सारी मुस्कुराहटें शब्दों में
अगर वो तुम्हारे अधरों पर बिखर जाएं तो,

शब्दों में छुपे भाव पढ़ पाओ तो...

वो सब बातें जो मैं सम्मुख हो कह नही पाती,
शब्दों में उतार दूँ,
अगर तुम मौन हो सब मेरे मन से समझ सको तो,
वो सारी बंदिशे तोड़ आऊं,
अगर तुम बेझिझक मेरा हाथ थाम पाओ तो,

शब्दों में छुपे भाव पढ़ पाओ तो...

मैं शब्दों में लगा के पर उड़ आऊँ
खुले आसमान में अगर तुम मेरी उड़ान समझ पाओ तो,
मैं शब्दों में खुल के साँसे ले पाऊं,
अगर तुममेर विस्तार समझ पाओ तो,

मैं जी लूँगी एक मनचाही से ज़िन्दगी
अगर तुम मेरे शब्द समझ पाओ तो..

शब्द में छुपे भाव पढ़ पाओ तो..
सुप्रिया "रानू"

गौरैया

चहकती फुदकती मीठे मिश्री दानों के  सरीखे आवाज़ गूंजता था तुम्हारे आने से बचपन की सुबह का हर साज़ घर के रोशनदान पंखे के ऊपरी हिस्से  कभी दीवार ...