Friday, October 19, 2018

वजह तुम ही हो

ये जो मैं मुस्कुराकर सब सह लेती हूं,
मन दिल जब भारी हो तो
कोई कविता कह लेती हूँ,
रोना न कोई मेरा जान पाता है,
अक्सर आंखे मूंद कर
तुम्हारे गोद में सर रखने का सुकून पा लेती हूँ,

ये मुस्कुराता चेहरा और ये दृढ़ मन
तुम्हारा ही स्वरूप
एकदम तुम्हारे जैसा तन
जननी हो तुम,
मुझे सृजित करने वाली,
और मेरे जीवन की वजह हो तुम

ये जो सिखा गयी हो
बालपन में ही कलाकारियाँ
जीवन जीने की,
चलना भी न सीखा
जब इस दुनिया के रास्तों में
जो भर गई हो मुझमे अदाकारियाँ
सब निभा लेने की,

ये मुस्कुराता चेहरा,ये दृढ़ मन
तुम्हारा ही स्वरूप
एकदम तुम्हारे जैसा तन
जननी हो तुम
मुझे सृजित करने वाली
और मेरे जीवन की वजह हो तुम

कल्पित नही था जीवन तुम्हारे बिना,
पर बेहतर जी लेती हूँ,
सोच न था रिक्तियां तुम्हारी कभी कोई
पूरा न कर सकेगा आजीवन
यकीन मानो तुम्हारे न होने का गम
चुपचाप पी लेती हूँ,

ये जो अदम्य साहस है मन
में कुछ भी कर गुजरने की
उसकी वजह हो तुम,
मेरे जीवन की वजह हो तुम...

तुम्हे न सोचूं तो दिन और दिन के पल
बेवजह हो जाते हैं,
तुम्हारी राह तकते थक के ये नयन
अक्सर अश्क़ों में डूबे सो जाते हैं,
मंजर हो दुख का या सुख के हो पलछिन
तुम बिन सब निरथर्क से लगते हैं
तुम होती तो क्या होता
अरमान इन्ही खयालों में खो जाते हैं...

फिर भी खुश रहती हूँ,
और खिलखिलकर
जी लेती हूं हर पल
वजह तुम हो...
तुम्हारे बाद भी जी रही हूँ
इसकी भी वजह तुम ही हो...
मेरे जीवन और मेरे अस्तित्व की वजह तुम ही हो....

सुप्रिया"रानू"

No comments:

गौरैया

चहकती फुदकती मीठे मिश्री दानों के  सरीखे आवाज़ गूंजता था तुम्हारे आने से बचपन की सुबह का हर साज़ घर के रोशनदान पंखे के ऊपरी हिस्से  कभी दीवार ...