तभी टिक पायेंगे
समय की तेज आंच पर रिश्ते ।।
होगा गहरा विश्वास एक दूजे पर,
तभी बुझ पाएंगे
एक एक बात मन की,
बंधे होंगे ....
बातों ही बातों में बातों के अर्थ बदल जता है,
एक मुह से निकल के दूसरे मुह तक
संदर्भ बदल जाता है,
प्रेम की नोकझोंक भी
कड़वाहट में तब्दील हो जाती है,
अविश्वास ही तो है जो
प्रेम का गला घोंट जाती है ।।
बंधे होंगे प्रेम के धागे से ...
हद तो तब पार हो जाती है
जब निस्वार्थता को भी स्वार्थ में तोल दिया जाता है,,
सिर्फ बातों में आपके हर व्यक्तित्व और हर त्याग को तोल दिया जाता है,
भेद बस सही और गलत का रह जाता है,
और अंततः जो परिपक्व होता है
वो हर कुछ झेल जाता है,
न जाने कब तक चुकाएंगे भावनाएँ
अपनी तौहीनी की किश्ते,,
बंधे होंगे प्रेम के धागे से
तभी टिक पाएंगे समय की आंच पर रिश्ते ।।।
सुप्रिया "रानू"