Saturday, December 26, 2020

रिश्ते

बंधे होंगे जो प्रेम के धागे से,
तभी टिक पायेंगे
समय की तेज आंच पर रिश्ते ।।
होगा गहरा विश्वास एक दूजे पर,
तभी बुझ पाएंगे 
एक एक बात मन की,
बंधे होंगे .... 

बातों ही बातों में बातों के अर्थ बदल जता है,
एक मुह से निकल के दूसरे मुह तक 
संदर्भ बदल जाता है,
प्रेम की नोकझोंक भी 
कड़वाहट में तब्दील हो जाती है,
अविश्वास ही तो है जो
प्रेम का गला घोंट जाती है ।।

बंधे होंगे प्रेम के धागे से ...

हद तो तब पार हो जाती है 
जब निस्वार्थता को भी स्वार्थ में तोल दिया जाता है,,
सिर्फ बातों में आपके हर व्यक्तित्व और हर त्याग को तोल दिया जाता है,
भेद बस सही और गलत का रह जाता है,
और अंततः जो परिपक्व होता है 
वो हर कुछ झेल जाता है,

न जाने कब तक चुकाएंगे भावनाएँ
अपनी तौहीनी की किश्ते,,
बंधे होंगे प्रेम के धागे से 
तभी टिक पाएंगे समय की आंच पर रिश्ते ।।।
सुप्रिया "रानू"

5 comments:

Pammi singh'tripti' said...


आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 30 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Supriya pathak " ranu" said...

बहुत बहुत आभार मेरी रचना को सम्मिलित करने को मैं जरूर उपस्थित रहूँगी

विभा रानी श्रीवास्तव said...

सुन्दर लेखन

सुशील कुमार जोशी said...

शुभ हो नया साल । सुन्दर रचना।

Supriya pathak " ranu" said...

विभा जी सुशील जी को हृदय से आभार

विस्मृति

मैं विस्मृत कर देना चाहती हूँ अपने जीवन मे अनुभूत सभी कड़वे स्वादों को जो किसी न किसी रिश्ते से मिले, इसलिए नही की उन्हें माफ कर दिया, अपितु ...