Thursday, October 30, 2025

मेरा आम बन पाना

मैं महान हूँ,
न जाने कितने काम जो दो लोग 
मिलकर करते हैं ,
जो कई लोग मिलकर करते हैं 
उन सबको मैं अकेले कर लेती हूँ, 
मैं महान हूँ
मुझे सारे रिश्ते निभा लेने हैं,
सब सुन लेना है सब सह लेना है,
मैं महान हूँ
मुझे कहीं भी बुरा नही बनना है,
मैं महान हूँ मुझे जीवन मे 
सभी सामाजिक सांस्कृतिक पारवारिक नैतिक 
दायित्व पूर्ण करने हैं,

लेकिन इस महान बनने में रह जाती है 
एक घुटन,
एक चुभन,
एक न पूरी होने वाली उम्मीद,
एक अपूर्ण आश
कई टूटे सपने,
और मेरा आम बन पाना।

Saturday, October 11, 2025

हम बेटियाँ

शादी के बाद हम काट दी गयी
जड़ों से
ससुराल और मायके हर जगह
कुछेक बातों के लिए 
तो कभी कुछेक आघातों के लिए,
कभी असीम प्रेम बना कारण
तो कभी चुप रह जाना हुआ वजह,
कभी सह जाना दुश्वार था 
कभी ना कह पाना ।
लेकिन जनना हमारे खून से लेकर रूह तक मे है,
हममें कोंपलें फूट आती हैं,
हर बार जब मायके 
का एक तिनका भी आकर स्पर्श कर जाए,
जिम्मेवारी एक भी गठरी
ससुराल से मिल जाये,
हम सब बिसरा कर फिर से खिल जाती हैं,
और महका देती हैं 
घर आँगन पीहर से लेकर  पी के घर तक का।
हम बेटियाँ धान हैं उगाई जाती हैं,
फिर जड़ से उखाड़ कर लगाई जाती हैं
फिर भी मन मन भर  चावल उगा देती हैं।



मेरा आम बन पाना

मैं महान हूँ, न जाने कितने काम जो दो लोग  मिलकर करते हैं , जो कई लोग मिलकर करते हैं  उन सबको मैं अकेले कर लेती हूँ,  मैं महान हूँ मुझे सारे ...