हैं इक्षाएँ जीवित,
है मन समर्पित,
कर्म का आधार है निहित,
तो संभावनाओं की बाट न जोहो,
संग हवा के संग पक्षियों के बहो,
अपनी कर्मठता को आधार बनाओ,
आसमान खुला है,
बस अपने पंख फैलाओ...
वक़्त सीमित है यहां ,
क्षण क्षण समर्पित करना होगा,
स्वार्थ की इस दुनिया मे ,
स्वार्थ अर्पित करना होगा,
मन की चंचलता को स्थिर करना होगा,
चित को निश्छल बनाओ,
आसमान खुला है,
बस अपने पंख फैलाओ...
सुप्रिया '"रानू"
13 comments:
अतिसुन्दर सुप्रिया
सहृदय धन्यवाद दीदी
सराहनीय व प्रेरक ।
Very beautiful lines
Inspirared me a lot
Your thoughts are so beautiful and deep just like you :-)
सहृदय धन्यवाद
Thanks a lot dear
Thanks a lot
Nice
Very inspiring. Waiting for a lot more.
Awesome👌👏
मन की चंचलता को स्थिर करना होगा,
चित को निश्छल बनाओ,
आसमान खुला है,
बस अपने पंख फैलाओ...
बेहतरीन पंक्तियाँ
सादर
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सादर
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