Wednesday, April 4, 2018

नई किताब लिखते हैं

मन जब उड़ना चाहता है,
उस असीमित आसमान में,
और पैर बन्ध जाते हैं,
कुछ विचारों के जहां में,

अपने हर सवाल का खुद ही जवाब लिखते हैं,
दिल भर आता है भावों से तो ...,
एक नई किताब लिखतें हैं..

आवाज़ रुक सी जाती है जब
चीख सकने के हालात में,
मन हारता है,जब
पाबंदियों को खोलने के खयालात में,

अपने हर सवाल का खुद ही जवाब लिखते हैं,
दिल भर आता है भावों से तो,
एक नई किताब लिखते हैं..

अंतर्मन में जब नई कोंपलें
आती हैं सपनो की ,
भेद दूर हो जाते हैं जब
गैर और अपनों की..

अपने हर सवाल का खुद ही जवाब लिखते हैं,
दिल भर आता है भावों से तो ,
एक नई किताब लिखते हैं...,

           सुप्रिया "रानू"

3 comments:

Shakuntla said...

दिल भर आता हैं भावों
तो एक नई किताब लिखते हैं..... उम्दा

Supriya pathak " ranu" said...

सहृदय धन्यवाद दी

yashoda Agrawal said...

वाह...
उम्दा लेखन
सादर

विस्मृति

मैं विस्मृत कर देना चाहती हूँ अपने जीवन मे अनुभूत सभी कड़वे स्वादों को जो किसी न किसी रिश्ते से मिले, इसलिए नही की उन्हें माफ कर दिया, अपितु ...