Friday, April 20, 2018

कदमो की आहट

नौ महीने का इंतज़ार बड़ा बेसब्र होता है,
मन की आकांक्षाएं उम्मीदों से भरता है,
संवेदन तो हर घड़ी है तुम्हारी,
पर भौतिकता में तुम्हारे साथ कि चाहत करती हूं
तुम चल भी न रही,
और मैं..
हर पल तुम्हारे कदमो की आहट सुनती हूँ..

एक अनदेखा ,अनसुना सा ख्वाब हो तुम,
मेरे सारे दबे सपने,मेरे जीवन का आफताब हो तुम,
मेरे हर प्रश्नों का जवाब हो तुम,
अपना प्रतिरूप तुम में देखने की चाहती करती हूं,
तुम चल भी न रही,
और मैं..
हर पल तुम्हारे कदमो को आहट सुनती हूँ..

मेरे पास खड़े रहने को हर पल मेरी छाया,हो तुम
निर्मोही होने के इस ढोंग में मेरी सबसे बड़ी माया हो तुम
जो कह भी न पायी आज तक
उन सारे शब्दों से बननेवाली ज़ज़्बात हो तुम
मुझसे सिंचित कोमल कुसुम सी मेरी पूरी कायनात हो तुम अपने अंतर्मन का सम्पूर्ण स्नेह तुम पर उड़ेलती हूँ,
तुम चल भी न रही,
और मैं..
हर पल तुम्हारे कदमो की आहट सुनती हूँ...

        सुप्रिया "रानू"

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