Tuesday, June 1, 2021

आत्मबोध

खुद ही लिखनी, खुद की कहानी है,
भूत,वर्तमान, भविष्य सब 
अपनी ही जुबानी ।।
गुत्थियां सुलझानी है,जीवन के रहस्य से,
मोह में डूबा यह जग सारा,
व्यर्थ का छिछला किनारा,
पार रक भवसागर को है,
स्व के ही सामर्थ्य पर,
खुद ही उठाना है बोझ अपना
खुद ही खुद की नाव चलानी है,
खुद ही लिखनी ,खुद की कहानी है।।
हर कदम पर ज़िन्दगी ,
यह मंत्र बता गयी ,
अपने मेहनत के बल पर 
बनानी है अपनी दुनिया नई,
हर आँधी यह सिखलाती है,
बनाओ नित नीड़ नए
न जाने जीवन की आँधी में टूटने हैं कई ,
जिम्मेवारियां कंधे की सारी खुद ही निभानी है
की खुद ही लिखनी खुद की कहानी है ।।
हर रिश्ते में छुपा है छल,
आज जो तेरे अपने हैं होंगे पराये वो कल,
रोशनी में साथ तेरे है जहां सदा,
छोड़ देगी साथ परछाई भी,
आ जाये सम्मुख जब अंधेरों की आपदा,
की खुद ही गहरे काले रातों में 
उठ के दीप जलानी है ,
की खुद ही लिखनी खुद की कहानी है ।।

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