कैसी
सुंदर हो दिखने में
रंग भी गोरा नाक खड़ी हो,
उम्र न ज्यादा बस अभी
यौवन की सीढी चढ़ी हो।
दुबली पतली सौम्य,सुशील
पढ़ा न हो बेटा तो क्या
लड़की खूब पढ़ी हो ।
अन्नपूर्णा हो
हाथ लगते ही खाना हो जाये
स्वाद से भरा
न बने कभी कम, कभी ज्यादा
बातों के लहज़े हो,
संस्करों की धनी हो
सह जाए सारे आधात
दिल से पत्थर की बनी हो ।
जो भी नियमें हो
चाहे कोई बंधन
मान ले आंख मूंद कर
न लगाएं कोई अटकन
घर के अंदर ही रहे
और निपुणता बाहर की भी हो,
जब जरूरत पड़े ,जहां जरूरत पड़े
रहे वो अडिग रहे खड़े,
दोष कोई भी हो
किसी मे मुँह पर ताला लगाए
सबकी वाह - वाही करे
सबको सम्मान का माला पहनाए ।
घर के काम पति का ध्यान
बच्चों का ख्याल और बड़ो की सेवा करे
स्वयं की इक्षाओं और
सपनो को दरकिनार करती जाए
है हर किसी की आकांक्षा
बहु के रूप में
इंसानी जिस्म में बस रोबोट मिल जाए।।
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