Thursday, October 30, 2025

मेरा आम बन पाना

मैं महान हूँ,
न जाने कितने काम जो दो लोग 
मिलकर करते हैं ,
जो कई लोग मिलकर करते हैं 
उन सबको मैं अकेले कर लेती हूँ, 
मैं महान हूँ
मुझे सारे रिश्ते निभा लेने हैं,
सब सुन लेना है सब सह लेना है,
मैं महान हूँ
मुझे कहीं भी बुरा नही बनना है,
मैं महान हूँ मुझे जीवन मे 
सभी सामाजिक सांस्कृतिक पारवारिक नैतिक 
दायित्व पूर्ण करने हैं,

लेकिन इस महान बनने में रह जाती है 
एक घुटन,
एक चुभन,
एक न पूरी होने वाली उम्मीद,
एक अपूर्ण आश
कई टूटे सपने,
और मेरा आम बन पाना।

6 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुंदर

Priyahindivibe | Priyanka Pal said...

कई - कई बार तो महान बनने के लिए मजबूर किया जाता है अपने स्वातंत्र्य को भूलाकर आँखें डबाडबा दी जाती है । सशक्त अभिव्यक्ति ।

दिगम्बर नासवा said...

बहुत कुछ बिन कहे ही कह जाती है रचना

Anita said...

महान बनना नहीं है, बस अपने महान होने यानि अनंत होने का अहसास करना है, तब कोई ख़ास नहीं रह जाता, क्योंकि अंतरतम में सब वही तो हैं

हरीश कुमार said...

बहुत सुंदर

M VERMA said...

बहुत सुंदर

मेरा आम बन पाना

मैं महान हूँ, न जाने कितने काम जो दो लोग  मिलकर करते हैं , जो कई लोग मिलकर करते हैं  उन सबको मैं अकेले कर लेती हूँ,  मैं महान हूँ मुझे सारे ...