भरे पूरे कपड़ो में
सजा धजा झूठ
सुंदर आकर्षक
मनमोहक और
परम प्रेम का परिचायक बना
वकपटुताओं की पराकाष्ठा पार करता
दिखावे की दुनिया मे लिप्त झूठ,
मात दे देता है क्षण भर को
और कभी कभी दीर्घकाल तक
नग्न ,कड़वे, आडंबरों से मुक्त
खरे,सच को अक्सर...
पर सच अपनी बदसूरती को
थामे अपनी नग्नता पर बिना शर्मिंदा हुए
दृढ़ता से बेशर्म की तरह अड़ा रहता है,
गलत साबित होकर भी,
सजा धजा झूठ
सुंदर आकर्षक
मनमोहक और
परम प्रेम का परिचायक बना
वकपटुताओं की पराकाष्ठा पार करता
दिखावे की दुनिया मे लिप्त झूठ,
मात दे देता है क्षण भर को
और कभी कभी दीर्घकाल तक
नग्न ,कड़वे, आडंबरों से मुक्त
खरे,सच को अक्सर...
पर सच अपनी बदसूरती को
थामे अपनी नग्नता पर बिना शर्मिंदा हुए
दृढ़ता से बेशर्म की तरह अड़ा रहता है,
गलत साबित होकर भी,
सही होने की आस में पड़ा रहता है,
झूठ बनता है इतराता है,
औऱ हर बार पग पग पर
सच को नीचा दिखाता है,
सच संयम रख कर धैर्य को
मन से बांध कर चुपचाप खड़ा रहता है,
और फिर वक़्त के करामात होते हैं
अजूबे अजूबे
जो भी है झूठ में डूबे,
तर आते हैं पानी के ऊपर
जैसे बिना जान के मुर्दा होता है,
घुट घुट के ही सही जिया पर
आखिर तक सच ही जिंदा होता है,
और बादल सारे दिखावे के छंट जाते है,
सच जिनके भी दामन से बंधा हो,
वो सितारों की तरह आसमान में उभर आते हैं,
तो भूल से भी दिखावे के झूठ का दामन न थामिए,
बेशर्म बेहया,और बिंदास बनिये
सच से तौलिये खुद को और सच से ही चलिए..
झूठ की सारी चमक धूल जाएगी
आखिर में सच की सफेदी ही काम आएगी...
झूठ बनता है इतराता है,
औऱ हर बार पग पग पर
सच को नीचा दिखाता है,
सच संयम रख कर धैर्य को
मन से बांध कर चुपचाप खड़ा रहता है,
और फिर वक़्त के करामात होते हैं
अजूबे अजूबे
जो भी है झूठ में डूबे,
तर आते हैं पानी के ऊपर
जैसे बिना जान के मुर्दा होता है,
घुट घुट के ही सही जिया पर
आखिर तक सच ही जिंदा होता है,
और बादल सारे दिखावे के छंट जाते है,
सच जिनके भी दामन से बंधा हो,
वो सितारों की तरह आसमान में उभर आते हैं,
तो भूल से भी दिखावे के झूठ का दामन न थामिए,
बेशर्म बेहया,और बिंदास बनिये
सच से तौलिये खुद को और सच से ही चलिए..
झूठ की सारी चमक धूल जाएगी
आखिर में सच की सफेदी ही काम आएगी...
सुप्रिया"रानू"
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